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ट्राई करें मूंग दाल के ये टेस्टी व्यंजन Winter ke time

सर्दियों के मौसम में अक्सर हमने देखा है कि हमें भूख ज़्यादा लगती है और जिसके कारण हमे तरह तरह की चीज़ें बनाकर खाने का बहुत मन करता है. स्वाद और सेहत की बात करें तो गुणों से भरपूर मूंग दाल दोनों पैमाने पर फिट बैठती है. स्वाद और स्वास्थ्य (Tasty & Healthy) दोनों के लिए उत्तम मूंग दाल के कई तरह के व्यंजन आपकी भूख शांत कर सकते हैं. चलिए आपको बताते हैं कि मूंग से आप कई तरह के मीठे (Sweet) और चटपटे (Spicy) व्यंजन बना सकते हैं

1. चटपटी मूंग दाल टिक्की - सुबह का नाश्ता हो या शाम की चाय, मूंग दाल की चटपटी टिक्की दोनों समय काफी पसंद किया जाता है. इसे आप अंकुरित मूंग से बनाएंगे तो और ज्यादा टेस्टी लगेगी. इसे आप हरि चटनी के साथ सर्व कर सकती हैं

2. मूंग दाल चीला - चीला तो आपने कई तरह के खाए होंगे लेकिन इस बार अपने नाश्ते में मूंग दाल चीला शामिल करके देखिए. इसे आप अपनी फूड लिस्ट में टॉप पर रखे बिना नहीं रह पाएंगे |

3. मूंग दाल हलवा - अगर आप मीठा खाने के शौकीन हैं तो मूंग दाल हलवा बेस्ट ऑप्शन है. सर्दियों में गरमा गरम मूंग हलवे की तो बात ही निराली है

4. मूंग दाल डोसा - अगर आपको डोसा खाने का मन हो और आपके पास बेटर नहीं है तो आप मूंग दाल का डोसा ट्राई कर सकती हैं. कम तेल में बना मूंग दाल डोसा स्वाद और सेहत दोनों के लिए परफेक्ट है

5. मंगौड़ी - बात मूंग दाल की हो और मंगौड़ी का ज़िक्र न हो, ये तो नइंसाफी होगी. चाय के साथ मंगौड़ी हम भारतीयों की पहली पसंद है. इसके साथ तीखी हरी चटनी मिल जाए तो क्या कहने

सोंठ के लड्डू सर्दियों में जरूर खाएं, बॉडी पेन से मिलेगा छुटकारा और बढ़ेगी इम्‍यूनिटी

सोंठ में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करते हैं. यह बॉडी में मौजूद टॉक्सिन चीजों को बाहर निकालने में भी काफी मदद करता है. सोंठ का लड्डू जोड़ों में होने वाले दर्द को भी कम करने का काम करता है और सूजन आदि को कम करता है तो आज ही बनाये सोंठ के लड्डू और खाये साथ ही अपने को सेहत मंद बनाये

laddu ka saman

किसी वरदान से कम नहीं है एक गिलास किशमिश का पानी, ये बीमारियां रहती हैं कोसों दूर

Kishmish Water Benefits: कई तरह के ड्राईफ्रूट्स का सेवन तो आपके जरूर किया होगा. जिसमें से एक है किशमिश. किशमइश को अंगूर को सूखाकर तैयार किया जाता है. किशमिश स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है. किशमिश में विटामिन-सी, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम, फास्फोरस और सोडियम आदि से भरपूर होता है. किशमिश के अलावा इसका पानी भी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. आज हम आपको किशमिश के पानी के फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं.

लिवर के लिए फायदेमंद- किशमिश का पानी लिवर के लिए काफी अच्छा साबित होता है. इससे लिवर की कार्य क्षमता बढ़ती है. इसके साथ ही यह शरीर की गंदगी को बाहर भी निकालता है.

एनीमिया से करता है बचाव- रोजाना किशमिश का पानी पीने से शरीर में रेड ब्लड सेल्स बढ़ते हैं. इसके साथ ही एनीमिया का खतरा भी कम होता है.

दिल की बीमारियों से रहते हैं कोसों दूर- दिल के लिए भी किशमिश का पानी काफी फायदेमंद होता है. इसके नियमित सेवन से दिल स्वस्थ रहता है.

पेट के लिए लाभदायक- पेट के लिए भी किशमिश का पानी काफी फायदेमंद साबित होता है. किशमिश का पानी पीने से पाचन संबंधी समस्याएं दूर रहती हैं और किडनी भी स्वस्थ रहती हैं.

वजन घटाने के लिए नाश्ते में खाएं पोहा, इतनी मात्रा में होते हैं पोषक तत्व

पोहा अधिकतर नाश्ते में खाया जाता है. पोहा सब्जियों और मूंगफली के साथ बनाया जाता है. ये न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि वजन घटाने में भी मदद करता है. पोहे में कार्बोहाइड्रेट, फैट, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम, विटामिन, ए, सी और डी जैसे पोषक तत्व होते हैं. आइए जानें कि वजन घटाने के साथ और किन समस्याओं के लिए ये लाभदायक है.

100 ग्राम पोहे में पोषक तत्व
कैलोरी: 110
फैट: 2.87 ग्राम / 23%
कार्ब्स: 18.8 ग्राम / 68%
प्रोटीन: 2.34 ग्राम / 8%
कोलेस्ट्रॉल: 0 मिलीग्राम
सोडियम: 201 मिलीग्राम
फाइबर: 0.9 ग्राम
शुगर : 0.5 ग्राम
कैल्शियम: 15 मिलीग्राम
आयरन : 1.06 मिलीग्राम
पोटैशियम: 117 मिलीग्राम
विटामिन ए: 6 एमसीजी
विटामिन सी: 6.4 मिलीग्राम
वजन कम करता है
पोहे में कैलोरी की मात्रा कम होती है. इसमें फाइबर और आयरन की मात्रा अधिक होती है. इस वजह से पोहा खाने से वजन नहीं बढ़ता है. वजन कम करने के लिए आप भी इसे अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं.

आयरन की कमी दूर करता है
पोहा खाने से शरीर में आयरन की कमी दूर होती है. इसलिए खून की कमी भी नहीं होती है. ये आपके शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ता है. इससे शरीर की कोशिकाओं को ऑक्सीजन मिलती है. प्रेगनेंट महिलाएं और छोटे बच्‍चे इसका सेवन नियमित रूप से कर सकते हैं

पेट की समस्या
पोहे में ग्लूटेन की मात्रा कम होती है.जो पेट से जुड़ी समस्याओं को कम करने में मदद करता है. इसे पचाना बेहद आसान होता है. यही कारण के न्यूट्रिशनिस्ट भी पोहा खाने की सलाह देते हैं.

डायबिटीज के लिए फायदेमंद
पोहा डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है. इसे खाने से भूख कम लगती है. ये ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखता है. इससे शरीर में शुगर की मात्रा धीरे- धीरे रिलीज होती है जो शुगर न बढ़ने में मदद करता है.

भूख कंट्रोल करता है
पोहा खाने के बाद आप लंबे समय तक भरा हुआ महसूस करते हैं. यहीं कारण है कि इसे खाने के बाद भूख कम लगती है.

एनर्जी बढ़ता है
पोहे में अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होता है. पोहे में सोयाबीन, सूखे मेवे और अंडा मिलाकर खाने से विटामिन और प्रोटीन मिलता है. इससे शरीर एनर्जेटिक रहता है. ये इम्यूनिटी को बढ़ता है.

बॉडी को शेप में रहती है
पोहे में कम कैलोरी होती है. सुबह नाश्ते में पोहा खाने से मोटापा नहीं बढ़ता है. ये कई पोषक तत्वों की कमी को भी पूरा करता है. इससे शरीर एक सही शेप में रहता है.

दूध में एक चम्मच घी डालकर पीने के पांच जबरदस्त फायदे, रात को सोने से पहले जरूर पिएं

रोजाना की हुई कई छोटी-छोटी चीजें हमें सेहतमंद रखती हैं। स्वस्थ रहना एक प्रक्रिया है, यानी एक दिन में हम स्वस्थ नहीं हो सकते। जैसे, आप रोजाना दूध पीते हैं, तो इससे न सिर्फ आपको कैल्शियम मिलता है बल्कि आपकी हड्डियां भी मजबूत होती हैं। आज हम आपको दूध की गुडनेस बढ़ाने के लिए एक और उपाय बता रहे हैं, जिसके आपको बहुत फायदे मिलेंगे। आप अगर रात में सोने से पहले दूध में एक चम्मच घी डालकर पिएंगे, तो इससे आपको कई हेल्थ बेनिफिट्स मिलेंगे।

ग्लोइंग स्किन बनाता है
घी और दूध दोनों ही प्राकृतिक मॉइस्चराइजर होते हैं। साथ ही घी त्वचा को अंदर से बाहर तक सुधारते हैं। हर शाम दूध और घी पीने से त्वचा सुस्त और जवां दिखने में मदद कर सकती है।

मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देता है
अपने दूध के गिलास में घी को मिलाकर सेवन करने से आपका मेटाबॉलिज्म तेज हो सकता है और पाचन तंत्र को मजबूती मिल सकती है। यह दूध में घी मिलाकर सेवन करने का सबसे महत्वपूर्ण लाभों में से एक है।

जोड़ों के दर्द को ठीक करता है
घी में के2 हड्डियों को दूध की हाई कैल्शियम सामग्री को अवशोषित करने में मदद करता है, इस प्रकार आपके शरीर की स्वाभाविक रूप से मजबूत हड्डियों को बनाने की क्षमता को मजबूत करता है।

 

डाइजेशन सिस्टम ठीक रहता है
दूध में घी शरीर के अंदर पाचन एंजाइमों के स्राव को उत्तेजित करके पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। ये एंजाइम सरल खाद्य पदार्थों में जटिल फूड्स को तोड़ते हैं, जो बेहतर पाचन में मदद करता है।

अच्छी नींद के लिए
घी तनाव कम करके मूड को रिफ्रेश करता है। जब इसे एक कप गर्म दूध में मिलाया जाता है, तो यह नसों को शांत करने और आपको नींद की स्थिति में भेजने के लिए फायदेमंद माना जाता है।

तिल की तासीर गर्म होती है तनाव को कम करता है तिल,जानें इसके और भी हैरान कर देने वाले फायदे

तिल की तासीर गर्म होती है, जिसकी वजह से इसका सेवन सर्दियों में करना फायदेमंद होता है। तिल के सेवन से जहां शरीर को गर्माहट मिलती है, तो वहीं तिल में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट तत्व कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को रोकने में कारगर साबित होते हैं। तिल में मोनो-सैचुरेटेड फैटी एसिड भी होता है जो शरीर से बुरे कोलेस्ट्रोल को कम करता है।


सर्दियों में तिल और तिल से बनी गजक, चिक्की और लड्डू खाने का मजा ही अलग होता है। आमतौर पर तिल के साथ गुड़ और चीनी मिलाकर बहुत सारी मीठी चीजें(गजक, चिक्की और लड्डू) बनाई जाती है। छोट-छोटे काले-सफेद रंग के तिल में बहुत सारे औषधिय गुण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। तिल की तासीर गर्म होती है, जिसकी वजह से इसका सेवन सर्दियों में करना फायदेमंद होता है। तिल के सेवन से जहां शरीर को गर्माहट मिलती है, तो वहीं तिल में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट तत्व कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को रोकने में कारगर साबित होते हैं। तिल में मोनो-सैचुरेटेड फैटी एसिड भी होता है जो शरीर से बुरे कोलेस्ट्रोल को कम करता है।

जानें तिल के फायदे

तनाव को कम करता है

तिल में कैल्श‍ियम, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और सेलेनियम समेत कई बहुत सारे ऐसे तत्व पाएं जाते हैं, लंबे समय तक तिल का सेवन किया जाए , तो तिल को खाने से शरीर के लिए जरूरी लवण और विटानिम पाए जाते हैं, जो हमारे तनाव को खत्म करने में सहायक होता है। साथ ही बार-बार डिप्रेशन की शिकायत को भी दूर करते हैं तिल।

हड्डियों की मजबूत करता है

तिल में प्रोटीन और एमिनो एसिड भरपूर मात्रा में होता है जो बच्चों की हड्डियों के विकास में मदद करता है। इसके अलावा यह मांसपेशियों में आने वाले खिंचाव को भी रोकता है।

दिल को मजबूत करता है

तिल में पाएं जाने वाले मोनो-सैचुरेटेड फैटी एसिड आपके शरीर के कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल रखने में मदद करता है, जिससे दिल की मजबूत होता है और दिल की मांसपेशियां सक्रिय रूप से काम कर पाती है।

स्किन के लिए बेहतरीन

तिल त्वचा से जुड़ी परेशानियों में बेहद फायदेमंद होता है। तिल के तेल को लगाने से जहां त्वचा मॉश्चराइज रहती है, तो वहीं तिल के तेल में बने खाने का सेवन करने से शरीर के लिए जरूरी पोषण मिलता है।

छोटी सी इलायची के फायदे बहुत होते हैं। नपुसंकता समेत गैस और एसिडिटी से पाएं छुटकारा

Elaichi Khane ke Fayde : छोटी सी इलायची के फायदे बहुत होते हैं। इलायची खाने के फायदे की हम बात करें तो इलायची में बहुत सारे औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो हमें कई सारी गंभीर बीमारियों से बचाते है। आमतौर पर इलायची दो तरह की होती है काली और हरी। हरी इलायची का उपयोग जहां पूजा-पाठ और व्यंजनों में किया जाता है, तो वहीं मोटी काली इलायची को मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। आइये जानते हैं हरी इलायची के फायदे बता रहे हैं।

इलायची के पौषक तत्व (Nutrients of Cardamom)

मात्रा प्रति 100 ग्राम

कैलोरी -311

कुल वसा 7 ग्राम 10%

संतृप्त वसा 0.7 ग्राम 3%

पॉलीअनसेचुरेटेड वसा 0.4 ग्राम

मोनोअनसैचुरेटेड वसा 0.9 ग्राम

कोलेस्ट्रॉल 0 मिलीग्राम 0%

सोडियम 18 मिलीग्राम 0%

पोटेशियम 1,119 मिलीग्राम 31%

कुल कार्बोहाइड्रेट 68 ग्राम 22%

आहार फाइबर 28 ग्राम 112%

प्रोटीन 11 ग्राम 22%

विटामिन ए 0% विटामिन सी 35%

कैल्शियम 38% लौह 77%

विटामिन डी 0% विटामिन बी -6 10%

कोबालामाइन 0% मैग्नीशियम

इलायची के प्रकार (Types of Cardamom)

हरी इलायची

बड़ी इलायची

काली इलायची

भूरी इलायची

नेपाली इलायची

बंगाल इलायची या लाल इलायची

इलायची का उत्पादन (Cardamom Production)

विकीपीडिया के मुताबिक, इलायची भारत में मैसूर, मंगलोर, मालाबार में उगाई जाती है। जबकि श्री लंका,एशिया और ऑस्ट्रेलिया में इलायची बहुतायत उगाई जाती है। बड़ी इलायची का विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक देश नेपाल है और उसके बाद क्रमशः भारत और भूटान हैं।

इलायची का उपयोग (Cardamom Usage)

1. खाना बनाने में - भारत, नेपाल, पाकिस्तान में खाना और स्वीट डिश यानि मिठाईयों को स्वादिष्ट और खूशबूदार बनाने में उपयोग की जाती है।

2. दवा बनाने में - भारत और चीन में इलायची का उपयोग पेट दर्द और अन्य बीमारियों की दवा बनाने में किया जाता है।

3. पूजा-पाठ में - भारत और नेपाल में छोटी यानि हरी इलायची का उपयोग किया जाता है।

इलायची खाने के फायदे (Cardamom Benefits) :

1 इलायची का नियमित सेवन करने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को मात दी जा सकती है। इलायची के एंटी इंफेलेमेंटरी तत्व मुंह का कैंसर, त्वचा के कैंसर की कोशिकाओं से लड़ने में कारगर साबित होते हैं।

2 अगर आप किसी यौन रोग या गुप्त रोग से परेशान हैं, तो ऐसे में रात को सोते वक्त दूध में इलायची को अच्छे से उबालकर शहद मिलाकर सेवन करें। छोटी दिखने वाली हरी इलायची रामबाण का काम करेगी।

3 अगर आप गैस, एसिडिटी और पेट की समस्या से ग्रस्त हैं, तो हमेशा खाने के बाद इलायची का सेवन करें।

4 इलायची में मैग्नीशियम और पौटेशियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जिससे शरीर का ब्लड सर्कुलेशन सामान्य बना रहता है और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने में मदद करता है।

5 इलायची सांस की बीमारी में भी बेहद फायदेमंद होती है। क्योंकि इलायची की तासीर गर्म होती है। इसलिए दिन में एक या दो बार चबाकर या खाने में मिलाकर सेवन करना चाहिए। फेफड़ों के संकुचन और अस्थमा में भी कारगर है।
6 एक शोध के मुताबिक इलायची में मौजूद एंटीऑक्सीडेट तत्व शरीर की शुगर यानि इंसुलिन के लेवल को कम करने में मदद करती है। इसके लिए आप इलायची का सेवन खाने या चाय में मिलाकर कर सकते हैं।
7 इलायची में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी इफेक्ट्स और एंटी ऑक्सीडेंट गुण क्रॉनिक डिजीज यानि एलर्जी और सूजन की समस्या से निजात दिलाने में मदद करती है।
8 हरी इलायची की तासीर गर्म होती है। इसलिए अगर आपको सर्दी-खांसी या गले की खराश की समस्या रहती है, तो ऐसे में हरी इलायची का सेवन करना बेहद फायदेमंद रहेगा। इसके लिए रात को गुनगुने पानी के साथ इलायची को चबा-चबाकर खाएं।
9 इलायची का सेवन करने से पेट में अल्सर की समस्या से छुटकारा मिलता है। क्योंकि इलायची के रोजाना सेवन करने से पाचन संबंधी समस्याओं से निजात मिलती है। शोध के मुताबिक, इलायची का अर्क गैस्ट्रिक अल्सर के आकार को कम से कम 50 फीसदी तक पूरी तरह खत्म कर देता है।
10 इलायची का खाना खाने के बाद सेवन करने से मुंह की दुर्गंध दूर करने के साथ दांतों की कैविटीज की समस्या से भी छुटकारा मिलता है। इसके अलावा उल्टी और मितली की परेशानी भी दूर होती है।
11 इलायची के अर्क का रोजाना सेवन करने पर लीवर से जुड़ी बीमारियों (लीवर के आकार, लीवर के वजन और फैटी लीवर) का खतरा कम होता है। क्योंकि इलायची के अर्क में मौजूद एंजाइम, ट्राइग्लिसराइड से कोलेस्ट्रॉल के स्तर में कमी आती है।
12 अगर आप एंजाइटी यानि बार-बार होने वाली घबारहट की समस्या से परेशान रहती हैं, तो ऐसे में दिन में 2-3 बार या घबरहाट होन पर इलायची का सेवन करना फायदेमंद रहता है। क्योंकि इलायची का एंटीऑक्सिडेंट तत्व ब्लड सर्कुलेशन को सामान्य बनाती है जिससे मूड स्विंग्स में भी राहत मिलती है। ़
13 अगर आप बढ़ते वजन और मोटाप से परेशान रहते हैं, तो ऐसे में अपनी डाइट में इलायची को जरुर शामिल करें। क्योंकि इलायची में मौजूद पौषक तत्व तेजी से वजन घटाने में मदद करती है।
14 इलायची का तेल और इलायची का अर्क का उपयोग करने से फंगल इंफेक्शन, फूड प्यॉवजनिंग और पाचन संबंधी रोगों में रामबाण का काम करती है।
15 इलायची के दानों का बेल की छाल के साथ काढ़ा बनाकर पीने से बुखार में लाभ होता है। इस काढ़े का सेवन दिन में 2-3 बार करें।

सुबह सुबह अदरक गुड़ वाली चाय पीना भी काफी फायदेमंद होता है तो ऐसे बनाएं गुड़ अदरक वाली चाय, स्वाद में लगाएं सेहत का तड़का

सुबह सुबह अदरक गुड़ वाली चाय पीना भी काफी फायदेमंद होता है। यह टेस्टी होने के साथ साथ शरीर के लिए भी काफी लाभदायक होती है। इसी बीच आज हम आपको गुड़-अदरक वाली चाय बनाने का तरीका बताने जा रहे हैं।

सर्दियों में चाय पीने का मजा ही अलग होता है। ऐसे में सुबह सुबह अदरक गुड़ वाली चाय पीना भी काफी फायदेमंद होता है। यह टेस्टी होने के साथ साथ शरीर के लिए भी काफी लाभदायक होती है। इसी बीच आज हम आपको गुड़-अदरक वाली चाय बनाने का तरीका बताने जा रहे हैं। तो आइए जानते हैं गुड़-अदरक वाली चाय की रेसिपी।

सामग्री

दूध - 1 कप

पानी - 1 कप

अदरक - एक इंच

चायपत्ती - 1/2 चम्मच

गुड़ - स्वादानुसार

विधि

- इसे बनाने के लिए आप सबसे पहले गुड़ को टुकड़ों में तोड़ें और फिर एक पैन में पानी डालकर गरम करने के लिए रखें।

- इसके बाद पानी में एक उबाल आने पर गुड़ और अदरक डालकर अच्छी तरह से उबालें।

- फिर अब चायपत्ती डालकर 2 मिनट तक उबालें।

- वहीं दूसरी तरफ पैन में दूध गरम कर लें और जब चायपत्ती का रंग पानी में आ जाए तब गैस बंद कर दें।

- गुड़ वाले पानी को कप में छान लें और ऊपर से गरम दूध डालकर मिला दें।

आपकी गुड़ - अदरक वाली चाय तैयार है।

फ्रिज में आटा गूंथ कर रखना सही या गलत, कई लोगों को आजतक नहीं पता इस सवाल का सही जवाब

16 अक्टूबर को दुनिया में वर्ल्ड फ़ूड डे (World Food Day) मनाया जाता है। पहले के समय में लोग घरों में अलग-अलग तरह की डिशेज बनाते थे। लेकिन आज के समय में लोग काफी बिजी हो गए हैं। उनके पास समय की कमी हो गई है। और अगर समय है भी तो वो आलसी हो गए हैं। ऐसे में आपने कई लोगों को अपने फ्रिज में आटा गूंथकर रख देते हैं। जब उन्हें रोटी बनाने का मन होता है, वो इसी आटे को थोड़ी देर पहले रूम टेम्परेचर पर ले आते हैं और फिर उसी से रोटी बना लेते हैं। ये तरीका आसान तो लगता है लेकिन क्या आपको पता है ऐसा करना आपके स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है। फ्रिज में रखे आटे की रोटी खाना आपके लिए कई तरह की परेशानियां ला सकता है। आइये आपको बताते हैं फ्रिज में रखे आटे की रोटियां आपके लिए कैसे नुकसानदायक है

आज के समय में आपको कई घरों की फ्रिज में गूंथा हुआ आटा मिल जाएगा। लोग समय बचाने के लिए पहले ही आटा गूंथ लेते हैं और फ्रिज में स्टोर कर लेते हैं। लेकिन ये अच्छी आदत नहीं है।
फ्रिज में रखे आटे की रोटी शरीर के लिए काफी नुकसानदायक होती है। इससे शरीर में कई तरह की बीमारियां हो सकती है। ऐसे में आटा गूंथने से बचा थोड़ा समय आपकी सेहत को लंबे समय तक प्रभावित कर सकता है।
जब हम आटे में पानी मिलाते हैं तब उसके अंदर कुछ केमिकल बदलाव आते हैं। ऐसे में अगर तुरंत उसकी रोटी बनाकर खा लिया जाए, तो उससे सेहत पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता।
लेकिन जैसे ही उस आटे को हम फ्रिज में रख देते हैं, वैसे ही फ्रिज के भी हानिकारक गैस उस आटे में प्रवेश कर जाते हैं। इस आटे की रोटी को खाने से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।
गूंथे हुए आटे में बैक्टीरिया जल्दी पनपते हैं। ऐसे में लंबे समय तक रखे आटे के अंदर तो काफी बैक्टीरिया पनप जाते हैं। जब इनसे बनी रोटी खाई जाती है तब सेहत को नुकसान पहुंचता है।
गेंहू को मोटा अनाज भी कहा जाता है। इसे पचने में समय लगता है। ऐसे में जिन्हें कब्ज की बीमारी है, उन्हें तो ऐसे आटे की रोटी कतई नहीं खानी चाहिए। इससे कब्ज की समस्या बढ़ जाती है।
हेल्थ न्‍यूट्रिशनिस्‍ट मिस प्रीति त्यागी के अनुसार गूंथा हुआ आटा स्वास्थ्य के लिए बिलकुल सही नहीं होता। चाहे आप इसे एयर टाइट कंटेनर में ही क्यों ना रख दें? अगर आपको पेट की समस्या है तो ऐसा बिलकुल ना करें।
रोटी बनाने से ठीक पहले आटे को गूंथे और कोशिश करें कि रोटियों को गर्म-गर्म ही खा लें। यही रोटी खाने का सबसे सही तरीका है।

पढ़ें यह दिलचस्प जानकारी, हवन के चमत्कारी फायदे वैज्ञानिक भी मान गए

शोध संस्थानों के ताजा शोध नतीजे बताते हैं कि हवन वातावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने के साथ ही अच्छी सेहत के लिए जरूरी है। हवन के धुएँ से प्राण में संजीवनी शक्ति का संचार होता है। हवन के माध्यम से बीमारियों से छुटकारा पाने का जिक्र ऋग्वेद में भी है।

हवन के लिए पवित्रता की जरूरत होती है ताकि सेहत के साथ उसकी आध्यात्मिक शुद्धता भी बनी रहे।हवन करने से पूर्व स्वच्छता का ख्याल रखें। हवन के लिए आम की लकड़ी, बेल, नीम, पलाश का पौधा, कलीगंज, देवदार की जड़, गूलर की छाल और पत्ती, पीपल की छाल और तना, बेर, आम की पत्ती और तना, चंदन की लकड़ी, तिल, जामुन की कोमल पत्ती, अश्वगंधा की जड़, तमाल यानि कपूर, लौंग, चावल, ब्राम्ही, मुलैठी की जड़, बहेड़ा का फल और हर्रे तथा घी, शकर जौ, तिल, गुगल, लोभान, इलायची एवं अन्य वनस्पतियों का बूरा उपयोगी होता है।
हवन के लिए गाय के गोबर से बनी छोटी-छोटी कटोरियाँ या उपले घी में डूबो कर डाले जाते हैं। हवन से हर प्रकार के 94 प्रतिशत जीवाणुओं का नाश होता है, अत: घर की शुद्धि तथा सेहत के लिए प्रत्येक घर में हवन करना चाहिए।

हवन के साथ कोई मंत्र का जाप करने से सकारात्मक ध्वनि तरंगित होती है, शरीर में ऊर्जा का संचार होता है, अत: कोई भी मंत्र सुविधानुसार बोला जा सकता है!

हवन में अधिकतर आम की लकड़ियों का ही प्रयोग किया जाता है। और जब आम की लकड़ियों को जलाया जाता है तो उनमें से एक लाभकारी गैस उत्पन्न होती है जिससे वातावरण में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया और जीवाणु समाप्त हो जाते हैं। इसके साथ ही वातावरण भी शुद्ध होता है। बता दें गुड़ को जलने से भी यह गैस उत्पन्न होती है।
एक अन्य रिसर्च के मुताबिक यदि आधे घंटे हवन में बैठा जाए और हवन के धुएं का शरीर से सम्पर्क हो तो टाइफाइड जैसे जानलेवा रोग फैलाने वाले जीवाणु खत्म हो जाते है और शरीर शुद्ध हो जाता है।